हिंदू धर्म में प्रथम पूजनीय भगवान गणेश होते हैं। किसी भी शुभ कार्य को शुरू करने के पूर्व विघ्नहर्ता भगवान गणेश को पूजा जाता है। आसान शब्दों में कहा जाए तो किसी भी कार्य के शुरुआत और अंत की जिम्मेदारी भगवान गणेश को दी जाती है।
गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की प्रतिमा को श्रद्धानुसार अपने घर में स्थापित किया जाता है जिसके बाद शुभ मुहूर्त के अनुसार 9 या 10 दिन बाद गणपति बप्पा का खूब धूम धाम से विसर्जन किया जाता है। आजादी के पूर्व तक गणेश उत्सव का पर्व केवल महाराष्ट्र तक सीमित था, लेकिन बढ़ती लोकप्रियता के कारण आज संपूर्ण विश्व में गणेश उत्सव का पर्व उल्लास के साथ मनाया जाता है।
प्रतिमा स्थापित करने के बाद भगवान गणेश का हिंदू रिति रिवाजों के अनुसार पूजन किया जाता है। लगातार 10 दिनों तक भगवान गणेश के भक्त, प्रतिमा की दोनों समय पूजा करते है। चलिए इस पोस्ट के जरिए जानते हैं कि, साल 2022 में गणेश विसर्जन कब है?
2022 में गणेश विसर्जन कब है?
31 अगस्त, 2022 गणेश चतुर्थी के बाद 09 सितम्बर, 2022 को गणेश प्रतिमा का विसर्जन किया जायेगा। जैसा की आप जानते हैं कि भगवान श्री गणेश जी का विसर्जन अनंत चतुर्दर्शी के दिन किया जाता है। जोकि 09 सितम्बर, 2022 को है। हिंदू धर्म की पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जिसे तरह बाप्पा की स्थापना शुभ मुहूर्त में की जाती है, ठीक उसी तरह विसर्जन भी शुभ मुहूर्त में किए जाने की परंपरा है ताकि भक्तों को उनका शुभ आशिश प्राप्त हो।
गणेश विसर्जन शुभ मुहूर्त 2022
09 सितम्बर, 2022 को गणेश विसर्जन वाले दिन बहुत से शुभ मुहूर्त हैं, जो कुछ इस प्रकार है-
गणेश विसर्जन तारीख – 09 सितम्बर 2022
सुबह का शुभ मुहूर्त – 06:03 AM से 10:44 AM तक
दोपहर का शुभ मुहूर्त – 12:18 PM से 01:52 PM तक
शाम का शुभ मुहूर्त – 05:00 PM से 06:34 PM तक
रात का शुभ मुहूर्त – 09:26 PM से 10:52 PM तक
उषाकाल का शुभ मुहूर्त – 12:18 AM से 04:37 AM तक (10 सितम्बर)
गणेश विसर्जन 2022 |
गणेश विसर्जन की प्रकिया व नियम
श्री गणेश जी की विदाई के लिए भक्तों में काफी उत्साह रहता है। वे पहले से ही काफी तैयारियां करते है। सुबह से ही लोग उनकी आरती, भजन-कीर्तन में लगे होते हैं। जब चलने का समय होता है उससे पूर्व उनकी आरती की जाती है तथा इन 10 दिनों में किसी प्रकार की त्रुटि के लिए माफी मांगी जाती है और घर में सुख समृद्धि हो, काम में बरकत है, रोजगार सही सलामत चलता रहे, बच्चे ठीक-ठाक रहे, कुल मिलाकर बस हमारा जीवन सुगमता से चलता रहे, ऐसा वरदान मांगते हैं। इसके पश्चात भक्तजन श्री गणेश जी के लिए एक कपड़े में उनके रास्ते में खाने के लिए मोदक व अन्य पकवान, तथा मेवे-मिष्ठान इत्यादि बांधकर श्री गणेश प्रतिमा के साथ लेकर जाते हैं।
घर, पंडाल अथवा पूजा स्थल जिस स्थान पर श्री गणेश जी को बिठाया गया होता है वहां से लेकर विसर्जन स्थल जैसे: समुद्र, नदी, झील, तालाब अथवा खुद से बनाए हुए छोटी-छोटी पोखरें या फिर जो लोग घरों में विसर्जन करते हैं तो वह अपने अपने घरों में एक बड़ा बर्तन लेते हैं। जिसे पहले से ही स्वच्छ जल भरकर तथा गंगाजल मिलाकर रख लेते हैं।
आपने अक्सर देखा होगा की पंडालों में काफी बड़ी-बड़ी मूर्तियां होते हैं। जिसके के लिए पहले से ही बड़े वाहन किराए पर लिए जाते हैं तथा उन्हें अच्छे से साफ सुथरा करके सजा लिया जाता है।जिन लोगों के पास छोटे आकार की मूर्तियां होती हैं वे लोग अपने सर पर अथवा हाथों में लेकर विसर्जन स्थल तक नाचते गाते हुए जाते हैं। पूरे रास्ते बड़ी धूम रहती है। लोग एक दूसरे को गुलाल तो रंग लगाते हैं। तथा हवा में उड़ाते हुए भी चलते हैं और गणपति बप्पा मोरिया का जयघोष पूरे वातावरण में फैला हुआ होता है।
विसर्जन स्थल पर पहुंचने के बाद लोग गणेश प्रतिमाओं को किनारे पर स्वच्छ स्थान बनाकर वहां रखते हैं तथा उसकी एक बार फिर से आरती और वंदना की जाती है। फिर भगवान श्री गणेश से आशीर्वाद मांगा जाता है। इसके बाद उनसे अगले बरस जल्दी से आने के लिए बोला जाता है। खासकर मुंबई महाराष्ट्र में एक प्रसिद्ध लाइन है जो हमेशा बोली जाती है "गणपति बप्पा मोरिया अगले बरस तू जल्दी आना"। वैसे तो अब यह लाइन पूरे भारत में प्रसिद्ध हो चुकी है। इसी के साथ गणेश जी को गहरे पानी में ले जाकर विसर्जित प्रक्रिया जो होती है उसे पूरा किया जाता है। उनके खाने की पोटली जो भक्तजन लेकर आए थे वह उनके साथ बांधी जाती है या रख दी जाती है। इसके बाद सभी लोग हाथ जोड़कर उनको विदा करते हैं। इस पूरी प्रक्रिया के दौरान भक्तजन काफी भावुक हो उठते हैं तथा इस कामना से कि प्रभु अगले वर्ष फिर से हमारे घरों में आएंगे और हमें अपने आशीर्वाद से कृतार्थ करेंगे।ऐसी कामना करते हुए अपने अपने घरों की तरफ चले जाते हैं।
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तो प्रेम से बोलिए! हृदय से बोलिए! मन से बोलिए!
" गणपति बप्पा मोर्या, अगले बरस तू जल्दी आना "
" भगवान श्री गणेश की जय "
" पार्वती नदन की जय "
" विघ्नहर्ता की जय "
" सभी देवी-देवताओं की जय "
" सनातन धर्म की जय "
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