Shani Dev Chalisa | शनि देव चालीसा - करें शनिदेव की आराधना से तमाम कष्टों का निवारण

हिंदू धर्म में शनि देव को दंडाधिकारी माना गया है। सूर्यपुत्र शनिदेव के बारे में लोगों के बीच कई मिथ्य हैं। लेकिन मान्यता है कि भगवान शनिदेव जातकों के केवल उसके अच्छे और बुरे कर्मों का ही फल देते हैं। शनि देव की पूजा-अर्चना करने से जातक के जीवन की कठिनाइयां दूर होती है। शिव पुराण में वर्णित है कि अयोध्या के राजा दशरथ ने शनिदेव को "शनि चालीसा" से प्रसन्न किया था। शनि साढ़ेसाती और शनि महादशा के दौरान ज्योतिषी शनि चालीसा का पाठ करने की सलाह देते हैं। शनि साढ़ेसाती और शनि महादशा के लिए अपने नजदीकी जानकार विशेषज्ञ अथवा पंडित जी की सलाह के बिना कोई भी उपाय न करें।

Shani Dev Chalisa शनि देव चालीसा - करें शनिदेव की आराधना से तमाम कष्टों का निवारण
श्री शनि देव जी

सूर्यपुत्र भगवान शनिदेव की आराधना से तमाम कष्टों का निवारण होता है नवग्रहों में सबसे शक्तिशाली ग्रह शनि को माना जाता हैशनिदेव को खुश करने के लिए वैसे तो कई उपाय किए जाते हैं लेकिन अगर विधि विधान से शनिवार के दिन शनि चालीसा का पाठ कर लें तो शनिदेव उस व्यक्ति पर मेहरबान हो जाते हैं शिव पुराण के अनुसार राजा दशरथ ने भी शनिदेव की कृपा पाने के लए शनि चालीसा का पाठ किया था

शनिदेव जी की पूजा विधि 

शनि देवता को न्याय का देवता कहा जाता है ऐसी मान्यता है कि वह सभी के कर्मों का फल देते हैं। कोई भी बुरा काम उनसे छिपा नहीं, शनिदेव हर एक बुरे काम का फल मनुष्य को ज़रूर देते हैं। जो गलती जानकर की गई उसके लिए भी और जो अंजाने में हुई, दोनों ही गलतियों पर शनिदेव अपनी नजर रखते हैं। इसीलिए उनकी पूजा का बहुत महत्व है। मान्यता है कि अगर पूजा सही तरीके से की जाए तो इससे शनिदेव की असीम कृपा मिलती है और ग्रहों की दशा भी सुधरती है। शनिदेव महाराज की पूजा विधि इस प्रकार है:- हर शनिवार मंदिर में सरसों के तेल का दीया जलाएं। ध्यान रखें कि यह दीया उनकी मूर्ति के आगे नहीं बल्कि मंदिर में रखी उनकी शिला के सामने जलाएं और रखें। अगर आस-पास शनि मंदिर ना हो तो पीपल के पेड़ के आगे तेल का दीया जलाएं। अगर वो भी ना हो तो सरसों का तेल गरीब को दान करें। शनिदेव को तेल के साथ ही तिल, काली उदड़ या कोई काली वस्तु भी भेंट करें। भेंट के बाद शनि मंत्र या फिर शनि चालीसा का जाप करे। शनि पूजा के बाद हनुमान जी की पूजा करें. उनकी मूर्ति पर सिन्दूर लगाएं और केला अर्पित करें।

शनिदेव की पूजा के दौरान इस मंत्र का जाप करें: 
ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम:।




अब आप शनि चालीसा पाठ शुरू कर सकते हैं
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शनि देव चालीसा
श्री शनि महाराज | शनि देव चालीसा

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शनि देव चालीसा 

!! Shani Dev Chalisa !!
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!! दोहा !!

जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल करण कृपाल।
दीनन के दुख दूर करि, कीजै नाथ निहाल॥

जय जय श्री शनिदेव प्रभु, सुनहु विनय महाराज।
करहु कृपा हे रवि तनय, राखहु जन की लाज॥

!! चौपाई !!

जयति जयति शनिदेव दयाला।
करत सदा भक्तन प्रतिपाला॥
चारि भुजा, तनु श्याम विराजै।
माथे रतन मुकुट छबि छाजै॥
परम विशाल मनोहर भाला।
टेढ़ी दृष्टि भृकुटि विकराला॥
कुण्डल श्रवण चमाचम चमके।
हिय माल मुक्तन मणि दमके॥
कर में गदा त्रिशूल कुठारा।
पल बिच करैं अरिहिं संहारा॥
पिंगल, कृष्णो, छाया नन्दन।
यम, कोणस्थ, रौद्र, दुखभंजन॥
सौरी, मन्द, शनी, दश नामा।
भानु पुत्र पूजहिं सब कामा॥
जा पर प्रभु प्रसन्न ह्वैं जाहीं।
रंकहुँ राव करैं क्षण माहीं॥
पर्वतहू तृण होई निहारत।
तृणहू को पर्वत करि डारत॥
राज मिलत बन रामहिं दीन्हयो।
कैकेइहुँ की मति हरि लीन्हयो॥
बनहूँ में मृग कपट दिखाई।
मातु जानकी गई चुराई॥
लखनहिं शक्ति विकल करिडारा।
मचिगा दल में हाहाकारा॥
रावण की गति-मति बौराई।
रामचन्द्र सों बैर बढ़ाई॥
दियो कीट करि कंचन लंका।
बजि बजरंग बीर की डंका॥
नृप विक्रम पर तुहि पगु धारा।
चित्र मयूर निगलि गै हारा॥
हार नौलखा लाग्यो चोरी।
हाथ पैर डरवायो तोरी॥
भारी दशा निकृष्ट दिखायो।
तेलिहिं घर कोल्हू चलवायो॥
विनय राग दीपक महं कीन्हयों।
तब प्रसन्न प्रभु ह्वै सुख दीन्हयों॥
हरिश्चन्द्र नृप नारि बिकानी।
आपहुं भरे डोम घर पानी॥
तैसे नल पर दशा सिरानी।
भूंजी-मीन कूद गई पानी॥
श्री शंकरहिं गह्यो जब जाई।
पारवती को सती कराई॥
तनिक विलोकत ही करि रीसा।
नभ उड़ि गयो गौरिसुत सीसा॥
पाण्डव पर भै दशा तुम्हारी।
बची द्रौपदी होति उघारी॥
कौरव के भी गति मति मारयो।
युद्ध महाभारत करि डारयो॥
रवि कहँ मुख महँ धरि तत्काला।
लेकर कूदि परयो पाताला॥
शेष देव-लखि विनती लाई।
रवि को मुख ते दियो छुड़ाई॥
वाहन प्रभु के सात सुजाना।
जग दिग्गज गर्दभ मृग स्वाना॥
जम्बुक सिंह आदि नख धारी।
सो फल ज्योतिष कहत पुकारी॥
गज वाहन लक्ष्मी गृह आवैं।
हय ते सुख सम्पति उपजावैं॥
गर्दभ हानि करै बहु काजा।
सिंह सिद्धकर राज समाजा॥
जम्बुक बुद्धि नष्ट कर डारै।
मृग दे कष्ट प्राण संहारै॥ 
जब आवहिं प्रभु स्वान सवारी।
चोरी आदि होय डर भारी॥
तैसहि चारि चरण यह नामा।
स्वर्ण लौह चाँदी अरु तामा॥
लौह चरण पर जब प्रभु आवैं।
धन जन सम्पत्ति नष्ट करावैं॥
समता ताम्र रजत शुभकारी।
स्वर्ण सर्व सर्व सुख मंगल भारी॥
जो यह शनि चरित्र नित गावै।
कबहुं न दशा निकृष्ट सतावै॥
अद्भुत नाथ दिखावैं लीला।
करैं शत्रु के नशि बलि ढीला॥
जो पण्डित सुयोग्य बुलवाई।
विधिवत शनि ग्रह शांति कराई॥
पीपल जल शनि दिवस चढ़ावत।
दीप दान दै बहु सुख पावत॥
कहत राम सुन्दर प्रभु दासा।
शनि सुमिरत सुख होत प्रकाशा॥

!! दोहा !!

पाठ शनिश्चर देव को, की हों 'भक्त' तैयार।
करत पाठ चालीस दिन, हो भवसागर पार॥


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शनि देव जी की आरती
श्री शनि देव | जय बालाजी महाराज
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शनि देव जी की आरती

!! Shani Dev Ji Ki Aarti !! 

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जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी।
सूर्य पुत्र प्रभु छाया महतारी॥
जय जय श्री शनि देव....

श्याम अंग वक्र-दृष्टि चतुर्भुजा धारी।
नी लाम्बर धार नाथ गज की असवारी॥
जय जय श्री शनि देव....

क्रीट मुकुट शीश राजित दिपत है लिलारी।
मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी॥
जय जय श्री शनि देव....

मोदक मिष्ठान पान चढ़त हैं सुपारी।
लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी॥
जय जय श्री शनि देव....

देव दनुज ऋषि मुनि सुमिरत नर नारी।
विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी॥
जय जय श्री शनि देव भक्तन हितकारी।।



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तो प्रेम से बोलिए! हृदय से बोलिए! मन से बोलिए!
" श्री शनि देव महाराज की जय"
" सूर्यपुत्र शनि देव की जय "
" न्याय के देवता की जय "
"  शनिश्चर देव की जय "
" सभी देवी-देवताओं की जय "
" सनातन धर्म की जय "
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आइए जानते हैं शनि देव की पूजा में किन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए...

शनि देव की आंखों में न देखें

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शनि देव की आंखों में नहीं देखना चाहिए। शनि देव की पूजा करते समय हमेशा अपनी नजरें नीचे रखें। शनि देव से नजरें मिलाने से आप पर शनि देव की बुरी नजर पड़ सकती है। 

एकदम सामने खड़े न रहें

वैसे तो शनिदेव जी बडे़ दयालु है और इनकी कृपा होने मात्र से भक्त जन की सारी मनोकामनाएं पुर्ण हो जाती है। परन्तु ऐसी माना जाता है कि शनिदेव की पूजा बिल्कुल उनकी प्रतिमा के सामने खड़े होकर नहीं करनी चाहिए। शनिदेव के सामने खढ़े होकर पूजा करने से अशुभ फल मिल सकता है। व्यक्ति को उनके दाएं या बाएं तरफ खड़े होकर ही पूजा करनी चाहिए ताकि उनकी सीधी दृष्टि सामने से आप पर ना पड़े।


Disclaimers : डिसक्लेमर अवश्य पढ़े! 

इस पोस्ट में जो भी जानकारी, विधियां, नियम व पाठ दी गई है वह केवल एक जानकारी मात्र है। ये सभी जानकारी निजी माध्यमों तथा पूर्व लिखित माध्यमों के आधार पर उपलब्ध कराई गई है। इनके सत्यापन की जिम्मेदारी हम (संपूर्ण गाथा) नहीं ले सकते।इन्हें केवल मान्यताओं के आधार पर लिखा गया है।
इनके सकारात्मक व नकारात्मक दोनों प्रभाव हो सकतें है जिसकी पूर्णरूपेण जिम्मेदारी आपकी आपनी है।
किसी भी पाठ, पूजा, विधि और नियम को करने अथवा शुरू करने से पूर्व अपने माननीय जानकार या पूजनीय पंडित जी से सलाह अवश्य ले लें।
हम (Sampoorn Gatha) बिलकुल नही चाहते कि आप किसी नकारात्मक प्रभाव में आए और किसी भी तरह का नुकसान हो।

भगवान सर्वव्यापी हैं वह सब जानने वाले है उनसे कुछ भी छुपा नहीं है। भगवान आपको सुख-समृद्धि प्रदान करें। आपकी हर मनोकामनाएं पूर्ण हो।

🙏अपने जानकार पंडित जी से सलाह अवश्य लें🙏

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