Shree Radha Chalisa | श्री राधा चालीसा - देवी राधा की कृपा से सिद्धि-बुद्धि, धन-बल और ज्ञान-विवेक की प्राप्ति होती है

श्रीराधा चालीसा का पाठ करने से सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है। देवी राधा की कृपा से सिद्धि-बुद्धि,धन-बल और ज्ञान-विवेक की प्राप्ति होती है। राधा देवी चालीसा के प्रभाव से इंसान धनी बनता है, वो तरक्की करता है। वो हर तरह के सुख का भागीदार बनता है, उसे कष्ट नहीं होता। राधा देवी की कृपा मात्र से ही इंसान सारी तकलीफों से दूर हो जाता है और वो तेजस्वी बनता है। राधा चालीसा का पाठ मन की हर कामना को पूर्ण करने वाला है। राधा रानी कृपा-सिंधु हैं। वे भगवान श्रीकृष्ण की प्रिय हैं। राधा चालीसा (Radha Chalisa) को नित्य पढ़ने से अप्राप्य की भी प्राप्ति हो जाती है। श्री मधुसूदन की कृपा भी बरसने लगती है। जो भी प्रेमी सच्चे हृदय से प्रतिदिन श्री राधा चालीसा (Shri Radha Chalisa) का गायन करता है, उसे राधा रानी के दैवीय गुणों के स्मरण के फलस्वरूप वह सब कुछ मिल जाता है, जो वह चाहता है। प्रेम से ओत-प्रोत होकर पढ़ें राधा चालीसा–



श्री राधा चालीसा पाठ करने के नियम

वैसे तो श्री राधा रानी के चालीसा पाठ करने की कोई खास नियम नहीं है परंतु फिर भी श्रद्धा भाव से सुबह जल्दी उठकर स्नान इत्यादि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र पहने।
इसके उपरांत आप अपने पूजा स्थान अथवा मंदिर में जाकर श्री राधा रानी के सामने आसन लगाकर बैठ जाए 
श्री राधा रानी को जल से स्नान कराएं इसके बाद तिलक और अक्षत लगाएं 
इसके उपरांत आप राधा जी के सामने दीपक जलाएं 
इसके पश्चात आप हाथ जोड़कर श्री राधा रानी जी की वंदना करें और साथ ही साथ उनके राधा चालीसा पाठ को भी पढ़ें 
अब आप राधे जी की आरती कर उन्हें लाल रंग का पुष्प अर्पण कर दें आप किसी अन्य रंग का पुष्प भी ले सकते हैं 
नियमित रूप से श्री राधा रानी का पाठ करने से आपको मनचाहा फल प्राप्त होगा


 अब आप श्री राधा चालीसा पाठ आरम्भ करें! 
*********************************************
Shree Radha Chalisa | श्री राधा चालीसा - देवी राधा की कृपा से सिद्धि-बुद्धि, धन-बल और ज्ञान-विवेक की प्राप्ति होती है
राधा रानी


*********************************************

श्री राधा चालीसा

!! Shree Radha Chalisa !!
*********************************************

॥ दोहा ॥

श्री राधे वुषभानुजा,
भक्तनि प्राणाधार ।
वृन्दाविपिन विहारिणी,
प्रानावौ बारम्बार ॥

जैसो तैसो रावरौ,
कृष्ण प्रिय सुखधाम ।
चरण शरण निज दीजिये,
सुन्दर सुखद ललाम ॥


॥ चौपाई ॥
जय वृषभान कुंवारी श्री श्यामा ।
कीरति नंदिनी शोभा धामा ॥

नित्य विहारिणी श्याम अधर ।
अमित बोध मंगल दातार ॥

रास विहारिणी रस विस्तारिन ।
सहचरी सुभाग यूथ मन भावनी ॥

नित्य किशोरी राधा गोरी ।
श्याम प्रन्नाधन अति जिया भोरी ॥

करुना सागरी हिय उमंगिनी ।
ललितादिक सखियाँ की संगनी ॥

दिनकर कन्या कूल विहारिणी ।
कृष्ण प्रण प्रिय हिय हुल्सवानी ॥

नित्य श्याम तुम्हारो गुण गावें ।
श्री राधा राधा कही हर्शवाहीं ॥

मुरली में नित नाम उचारें ।
तुम कारण लीला वपु धरें ॥

प्रेमा स्वरूपिणी अति सुकुमारी ।
श्याम प्रिय वृषभानु दुलारी ॥

नावाला किशोरी अति चाबी धामा ।
द्युति लघु लाग कोटि रति कामा ॥10

गौरांगी शशि निंदक वदना ।
सुभाग चपल अनियारे नैना ॥

जावक यूथ पद पंकज चरण ।
नूपुर ध्वनी प्रीतम मन हारना ॥

सन्तता सहचरी सेवा करहीं ।
महा मोड़ मंगल मन भरहीं ॥

रसिकन जीवन प्रण अधर ।
राधा नाम सकल सुख सारा ॥

अगम अगोचर नित्य स्वरूप ।
ध्यान धरत निशिदिन ब्रजभूपा ॥

उप्जेऊ जासु अंश गुण खानी ।
कोटिन उमा राम ब्रह्मणि ॥

नित्य धाम गोलोक बिहारिनी ।
जन रक्षक दुःख दोष नासवानी ॥

शिव अज मुनि सनकादिक नारद ।
पार न पायं सेष अरु शरद ॥

राधा शुभ गुण रूपा उजारी ।
निरखि प्रसन्ना हॉट बनवारी ॥

ब्रज जीवन धन राधा रानी ।
महिमा अमित न जय बखानी ॥ 20

प्रीतम संग दिए गल बाहीं ।
बिहारता नित वृन्दावन माहीं ॥

राधा कृष्ण कृष्ण है राधा ।
एक रूप दौऊ -प्रीती अगाधा ॥

श्री राधा मोहन मन हरनी ।
जन सुख प्रदा प्रफुल्लित बदानी ॥

कोटिक रूप धरे नन्द नंदा ।
दरश कारन हित गोकुल चंदा ॥

रास केलि कर तुम्हें रिझावें ।
मान करो जब अति दुःख पावें ॥

प्रफ्फुल्लित होठ दरश जब पावें ।
विविध भांति नित विनय सुनावें ॥

वृन्दरंन्य विहारिन्नी श्याम ।
नाम लेथ पूरण सब कम ॥

कोटिन यज्ञ तपस्या करुहू ।
विविध नेम व्रत हिय में धरहु ॥

तू न श्याम भक्ताही अपनावें ।
जब लगी नाम न राधा गावें ॥

वृंदा विपिन स्वामिनी राधा ।
लीला वपु तुवा अमित अगाध ॥ 30

स्वयं कृष्ण नहीं पावहीं पारा ।
और तुम्हें को जननी हारा ॥

श्रीराधा रस प्रीती अभेद ।
सादर गान करत नित वेदा ॥

राधा त्यागी कृष्ण को भाजिहैं ।
ते सपनेहूं जग जलधि न तरिहैं ॥

कीरति कुमारी लाडली राधा ।
सुमिरत सकल मिटहिं भाव बड़ा ॥

नाम अमंगल मूल नासवानी ।
विविध ताप हर हरी मन भवानी ॥

राधा नाम ले जो कोई ।
सहजही दामोदर वश होई ॥

राधा नाम परम सुखदायी ।
सहजहिं कृपा करें यदुराई ॥

यदुपति नंदन पीछे फिरिहैन ।
जो कौउ राधा नाम सुमिरिहैन ॥

रास विहारिणी श्यामा प्यारी ।
करुहू कृपा बरसाने वारि ॥

वृन्दावन है शरण तुम्हारी ।
जय जय जय व्र्शभाणु दुलारी ॥ 40

॥ दोहा ॥
श्री राधा सर्वेश्वरी,
रसिकेश्वर धनश्याम ।
करहूँ निरंतर बास मै,
श्री वृन्दावन धाम ॥


॥ इति श्री राधा चालीसा ॥


श्री राधा चालीसा Pdf : यहाँ से Download करें!

*********************************************


Shree Radha Chalisa | श्री राधा चालीसा - देवी राधा की कृपा से सिद्धि-बुद्धि, धन-बल और ज्ञान-विवेक की प्राप्ति होती है
श्री कृष्ण सखा 

*********************************************

श्री राधा जी की आरती - 1

!! Shree Radha Ji Ki Aarti !! 
*********************************************

||ऊं ह्नीं राधिकायै नम:||

आरती श्री वृषभानुसुता की, मंजु मूर्ति मोहन ममता की।।
त्रिविध तापयुत संसृति नाशिनि, विमल विवेक विराग विकासिनि|
पावन प्रभु पद प्रीति प्रकाशिनि, सुन्दरतम छवि सुन्दरता की।।
आरती श्री वृषभानुसुता की।

मुनि मन मोहन मोहन मोहनि, मधुर मनोहर मूरती सोहनि।
अविरलप्रेम अमिय रस दोहनि, प्रिय अति सदा सखी ललिता की।।
आरती श्री वृषभानुसुता की।

संतत सेव्य सत मुनि जनकी, आकर अमित दिव्यगुन गनकी।
आकर्षिणी कृष्ण तन मनकी, अति अमूल्य सम्पति समता की।।
आरती श्री वृषभानुसुता की।

कृष्णात्मिका, कृषण सहचारिणि, चिन्मयवृन्दा विपिन विहारिणि।
जगज्जननि जग दुखनिवारिणि, आदिअनादिशक्ति विभुता की।।
आरती श्री वृषभानुसुता की।





श्री राधा जी की आरती 1 Pdf : यहाँ से Download करें!




*********************************************

श्री राधा जी की आरती - 2

!!  Shree Radha ji ki Aarti - 2 !!
*********************************************
||ऊं ह्नीं राधिकायै नम:||


आरती राधा जी की कीजै !! 2!!

कृष्ण संग जो करे निवासा, कृष्ण करें जिन पर विश्वासा, आरति वृषभानु लली की कीजै।।

आरती राधा जी की कीजै !! 2!! 

कृष्ण चन्द्र की करी सहाई, मुंह में आनि रूप दिखाई, उसी शक्ति की आरती कीजै।।

आरती राधा जी की कीजै !! 2!! 

नन्द पुत्र से प्रीति बढाई, जमुना तट पर रास रचाई, आरती रास रचाई की कीजै।।

आरती राधा जी की कीजै !! 2!! 

प्रेम राह जिसने बतलाई, निर्गुण भक्ति नही अपनाई, आरती ! श्री ! जी की कीजै।।

आरती राधा जी की कीजै !! 2!! 

दुनिया की जो रक्षा करती, भक्तजनों के दुख सब हरती, आरती दु:ख हरणी जी की कीजै।।

आरती राधा जी की कीजै !! 2!! 

कृष्ण चन्द्र ने प्रेम बढाया, विपिन बीच में रास रचाया, आरती कृष्ण प्रिया की कीजै।।

आरती राधा जी की कीजै !! 2!! 

दुनिया की जो जननि कहावे, निज पुत्रों की धीर बंधावे, आरती जगत मात की कीजै।।

आरती राधा जी की कीजै !! 2!! 

निज पुत्रों के काज संवारे, आरती गायक के कष्ट निवारे, आरती विश्वमात की कीजै।।

आरती राधा जी की कीजै !! 2!! 






श्री राधा जी की आरती 2 Pdf : यहाँ से Download करें!

*********************************************

तो प्रेम से बोलिए! हृदय से बोलिए! मन से बोलिए!
" श्री राधा रानी की जय"
" बोलो कृष्ण सखा की जय "
" श्री वृषभानुसुता की जय "
" श्री राधाकृष्ण की जय "
" सभी देवी-देवताओं की जय "
" सनातन धर्म की जय "
*********************************************



देवी श्री राधा जी को प्रसंन्न करने से मिलेंगे ढेरों लाभ

देव श्री राधा जी के प्रसन्न होने का अर्थ है आपने श्री कृष्ण जी को प्रसन्न कर लिया।
श्री राधा जी को प्रसंन्न करने से घर में सुख समृद्धि, शांति और प्रेम का वास होता है तथा घर का वातावरण सुखमय बना रहता है
श्री राधा जी का पाठ करने से सारी मनोकामनाएं पुर्ण होती है
यदि घर में वातावरण ठीक नहीं रहता कलह कलेश का वातावरण बना रहता है तो श्री राधा चालीसा पाठ करने से घर की यह समस्या दूर हो जाती है


समभावित प्रश्न जो अक्सर सभी के मन में आते हैं?

श्री राधा चालीसा पाठ के नियम क्या हैं?
देवी राधा चालीसा पाठ कौन कर सकता है?
राधा चालीसा पाठ को कब करना चाहिए?
श्री राधा चालीसा का पाठ घर में पढें या मंदिर में?




इन्हें भी अवश्य पढ़े :

श्री राधा जी की आरती 1 : आरती श्री वृषभानुसुता की 

श्री राधा जी की आरती 2 : आरती राधा जी की कीजै 

संकटमोचन हनुमानाष्टक : बाल समय रबि भक्षि लियो तब  

श्रीराम-स्तुति : श्रीरामचंद्र कृपालु भजु मन हरण भवभय दारुणं 

श्रीरामावतार : भए प्रगट कृपाला दीनदयाला कौसल्या हितकारी 

श्रीरामवन्दना : आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसम्पदाम् 






Post a Comment

Previous Post Next Post