Durga Chalisa | श्री दुर्गा चालीसा - दुखों को संहार करके, सुख-समृद्धि देने वाली जगत जननी माँ दुर्गा का आलौकिक पाठ - Sampoorn Gatha

हिंदू धर्म के अनुसार श्री दुर्गा चालीसा (Durga Chalisa) पाठ करने से माता दुर्गा जी का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है जिन्हें हिन्दू धर्म(Hindu Dharm) में सर्वशक्तिशाली माना गया है। मां दुर्गा को आदिशक्ति भी कहा जाता है तथा उनके नौ स्वरूप है जिनकी पूजा अर्चना विशेष रूप से नवरात्रि के दौरान की जाती है। नवरात्रि साल में दो बार मनाई जाती है। शारदीय नवरात्रि और चैत्र नवरात्रि के दौरान हर साल देवी के सभी रूपों की श्रद्धा भाव के साथ पूजा अर्चना करने का विधान है। माना जाता है कि दुर्गा चालीसा का जाप नियमित रूप से करने से देवी का आशीर्वाद जीवन में विद्यमान रहता है। आज इस लेख के जरिये हम आपको दुर्गा चालीसा पाठ से जुड़े सभी महत्वपूर्ण तथ्यों के बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं। आईये जानते हैं दुर्गा चालीसा से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों के बारे में।

माँ दुर्गा

कैसे हुई माँ दुर्गा तथा दुर्गा चालीसा की उत्पत्ति?

दुर्गा चालीसा की उत्पत्ति से पहले माँ दुर्गा की उत्पत्ति कैसे और क्यों हुई इस बारे में जानना बेहद आवश्यक है। बता दें कि महिषासुर नामक राक्षस का वध करने के लिए देवताओं ने अपनी शक्तियों से एक आदि शक्ति को जन्म दिया जिसे आज सर्वशक्तिशाली माँ दुर्गा के रूप में लोग जानते हैं। माँ दुर्गा ने महादुराचारी दैत्य महिषासुर का वध कर देवताओं को उसके चंगुल से बचाया था और उन्हें स्वर्ग लोक वापिस दिलाने में मदद की थी। दुर्गा चालीसा की रचना देवी-दास जी ने की थी, जिनके संदर्भ में ये माना जाता है कि वो माँ दुर्गा के सबसे बड़े उपासक थे और उन्होनें दुर्गा चालीसा में माँ दुर्गा के सभी रूपों के साथ ही उनकी महिमा का भी वर्णन विस्तार में किया है। कई पौराणिक कथाओं में अनुसार देवी दुर्गा को इस संसार का संचालक भी बताया गया है क्योंकि उनमें ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों के गुण विद्यमान हैं।


दुर्गा चालीसा के पाठ करने की सही विधि

नवरात्रि साल में चार बार आती है। एक चैत्र नवरात्रि और दूसरी शारदीय नवरात्रि होती है। इसके अलावा दो गुप्त नवरात्रि होती हैं।इस दौरान मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। दुर्गा चालीसा का पाठ ज्यादातर लोग अपनी क्षमता और श्रद्धा के अनुसार ही करते हैं लेकिन यदि इसका जाप नियम पूर्वक किया जाए तो इससे माता दुर्गा का ख़ास आशीर्वाद आपको प्राप्त होता है। ज्योतिष विशेषज्ञों द्वारा दुर्गा चालीसा पाठ के कुछ विशेष नियमों के बारे में निम्न प्रकार से उल्लेख किया गया है:-

  • दुर्गा चालीसा का पाठ करने से पहले सूर्योदय से पूर्व स्नान करके साफ़ सुथरे वस्त्र धारण करें।
  • अब एक लकड़ी की चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछा कर, उस पर माता दुर्गा की प्रतिमा स्थापित करें।
  • सबसे पहले माता दुर्गा की फूल, रोली, धूप, दीप आदि से पूजा अर्चना करें।
  • पूजा के दौरान दुर्गा यंत्र का प्रयोग आपके लिए लाभकारी साबित हो सकता है।


अब आप दुर्गा चालीसा का पाठ शुरू करें।
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माँ दुर्गा

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!! श्री दुर्गा चालीसा !!

!! Durga Chalisa !! 

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नमो नमो दुर्गे सुख करनी ।

नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी 


निरंकार है ज्योति तुम्हारी ।

तिहूँ लोक फैली उजियारी ॥


शशि ललाट मुख महाविशाला ।

नेत्र लाल भृकुटि विकराला ॥


रूप मातु को अधिक सुहावे ।

दरश करत जन अति सुख पावे ॥ ४


तुम संसार शक्ति लै कीना ।

पालन हेतु अन्न धन दीना ॥


अन्नपूर्णा हुई जग पाला ।

तुम ही आदि सुन्दरी बाला ॥


प्रलयकाल सब नाशन हारी ।

तुम गौरी शिवशंकर प्यारी ॥


शिव योगी तुम्हरे गुण गावें ।

ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें ॥ ८


रूप सरस्वती को तुम धारा ।

दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा ॥


धरयो रूप नरसिंह को अम्बा ।

परगट भई फाड़कर खम्बा ॥


रक्षा करि प्रह्लाद बचायो ।

हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो ॥


लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं ।

श्री नारायण अंग समाहीं ॥ १२


क्षीरसिन्धु में करत विलासा ।

दयासिन्धु दीजै मन आसा ॥


हिंगलाज में तुम्हीं भवानी ।

महिमा अमित न जात बखानी ॥


मातंगी अरु धूमावति माता ।

भुवनेश्वरी बगला सुख दाता ॥


श्री भैरव तारा जग तारिणी ।

छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी ॥ १६


केहरि वाहन सोह भवानी ।

लांगुर वीर चलत अगवानी ॥


कर में खप्पर खड्ग विराजै ।

जाको देख काल डर भाजै ॥


सोहै अस्त्र और त्रिशूला ।

जाते उठत शत्रु हिय शूला ॥


नगरकोट में तुम्हीं विराजत ।

तिहुँलोक में डंका बाजत ॥ २०


शुम्भ निशुम्भ दानव तुम मारे ।

रक्तबीज शंखन संहारे ॥


महिषासुर नृप अति अभिमानी ।

जेहि अघ भार मही अकुलानी ॥


रूप कराल कालिका धारा ।

सेन सहित तुम तिहि संहारा ॥


परी गाढ़ सन्तन पर जब जब ।

भई सहाय मातु तुम तब तब ॥ २४


अमरपुरी अरु बासव लोका ।

तब महिमा सब रहें अशोका ॥


ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी ।

तुम्हें सदा पूजें नरनारी ॥


प्रेम भक्ति से जो यश गावें ।

दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें ॥


ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई ।

जन्ममरण ताकौ छुटि जाई ॥ २८


जोगी सुर मुनि कहत पुकारी ।

योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी ॥


शंकर आचारज तप कीनो ।

काम अरु क्रोध जीति सब लीनो ॥


निशिदिन ध्यान धरो शंकर को ।

काहु काल नहिं सुमिरो तुमको ॥


शक्ति रूप का मरम न पायो ।

शक्ति गई तब मन पछितायो ॥ ३२


शरणागत हुई कीर्ति बखानी ।

जय जय जय जगदम्ब भवानी ॥


भई प्रसन्न आदि जगदम्बा ।

दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा ॥


मोको मातु कष्ट अति घेरो ।

तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो ॥


आशा तृष्णा निपट सतावें ।

मोह मदादिक सब बिनशावें ॥ ३६


शत्रु नाश कीजै महारानी ।

सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी ॥


करो कृपा हे मातु दयाला ।

ऋद्धिसिद्धि दै करहु निहाला ॥


जब लगि जिऊँ दया फल पाऊँ ।

तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊँ ॥


श्री दुर्गा चालीसा जो कोई गावै ।

सब सुख भोग परमपद पावै ॥ ४०


देवीदास शरण निज जानी ।

कहु कृपा जगदम्ब भवानी ॥


॥दोहा॥

शरणागत रक्षा करे,

भक्त रहे नि:शंक ।

मैं आया तेरी शरण में,

मातु लिजिये अंक ॥


 इति श्री दुर्गा चालीसा ॥


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दुर्गा माँ

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!! माता दुर्गा जी की आरती !!

!! Maa Durga Aarti !!

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जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी। तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी।।

मइया जय अम्बे गौरी,…।


मांग सिंदूर बिराजत, टीको मृगमद को। उज्ज्वल से दोउ नैना, चंद्रबदन नीको।।

मइया जय अम्बे गौरी,…।


कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै। रक्तपुष्प गल माला, कंठन पर साजै।।

मइया जय अम्बे गौरी,…।


केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्परधारी। सुर-नर मुनिजन सेवत, तिनके दुःखहारी।।

मइया जय अम्बे गौरी,…।


कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती। कोटिक चंद्र दिवाकर, राजत समज्योति।।

मइया जय अम्बे गौरी,…।


शुम्भ निशुम्भ बिडारे, महिषासुर घाती। धूम्र विलोचन नैना, निशिदिन मदमाती।।

मइया जय अम्बे गौरी,…।


चण्ड-मुण्ड संहारे, शौणित बीज हरे। मधु कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे।।

मइया जय अम्बे गौरी,…।


ब्रह्माणी, रुद्राणी, तुम कमला रानी। आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी।।

मइया जय अम्बे गौरी,…।


चौंसठ योगिनि मंगल गावैं, नृत्य करत भैरू। बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू।।

मइया जय अम्बे गौरी,…।


तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता। भक्तन की दुःख हरता, सुख सम्पत्ति करता।।

मइया जय अम्बे गौरी,…।


भुजा चार अति शोभित, खड्ग खप्परधारी। मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी।।

मइया जय अम्बे गौरी,…।


कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती। श्री मालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योति।।

मइया जय अम्बे गौरी,…।


अम्बेजी की आरती जो कोई नर गावै। कहत शिवानंद स्वामी, सुख-सम्पत्ति पावै।।

मइया जय अम्बे गौरी, मइया जय श्यामा गौरी।


!! इति !!


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तो प्रम से बोलिए! हृदय से बोलिए! मन से बोलिए!
" श्री दुर्गा माँ की जय "
" नवौ देवी की जय "
"श्री अम्बेमात की जय " 
" सभी देवी-देवताओं की जय "
" सनातन धर्म की जय "
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दुर्गा चालीसा पाठ करने के फायदे 

Benifit of Durga Chalisa Paath

रोजाना दुर्गा चालीसा का पाठ करने से आप के शरीर में सकारात्मक उर्जा का संचार होगा। इसके साथ ही दुश्मनों से निपटने और उन्हें हराने की क्षमता भी विकसित होती है।

दुर्गा चालीसा का पाठ करने से आप अपने परिवार को वित्तीय नुकसान, संकट और अलग-अलग प्रकार के दुखों से बचा सकते हैं।

इसके अलावा इससे आप जुनून, निराशा, आशा, वासना और अन्य जैसे भावनाओं का सामना करने के लिए मानसिक शक्ति भी विकसित कर सकते हैं।

दुर्गा चालीसा का पाठ करने से आपके द्वारा खोई गई सामाजिक स्थिति को एक फिर से स्थापित कर सकते हैं।

कहते हैं मां दुर्गा की मन से पूजा करने से नकारात्मक विचारों से दूर रहेंगे।

भक्त की श्रद्धा से खुश होकर मां दुर्गा धन, ज्ञान और समृद्धि का वरदान देती हैं।

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