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जय श्री गणेश |ओम् श्री गणेशाय नम: |
आइए जानते हैं आज हमने किस तरीके से श्री गणेश चतुर्थी पूर्व के लिए तैयारी शुरू करी और क्या क्या सावधानी रखी है
जो सबसे बड़ा प्रश्न हमारे मन मन में आया कि श्री गणेश जी की कौन सी मूर्ति रखनी है। जैसा कि आप जानते हैं की विसर्जन में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है और सुनिश्चित स्थान होने के कारण ही बहुत से भक्त वहां तक पहुंचने में असमर्थ है। तो इसी को देखते हुए हमने निश्चय किया कि हम श्री गणेश जी की मिट्टी की मूर्ति घर पर ही बनाएंगे जिसे विसर्जित करना आसान होगा। इसके साथ ही मन में काफी दुविधा भी थी कि किस प्रकार से हम गणेश जी को बनाएंगे क्योंकि हमारा प्रथम प्रयास होने वाला था। इस वजह से हम काफी घबराए हुए भी थे बहरहाल हमने अपने साथियों के साथ मिलकर चिकनी मिट्टी का प्रबंध किए और श्री गणेश जी का नाम लेकर हमें मूर्ति बनाना आरंभ कर दिया आई जानते हम ने किस प्रकार से श्री गणेश जी की मूर्ति को घर पर ही बनाया।
घर में श्री गणेश मूर्ति बनाने की प्रक्रिया
गणेश चतुर्थी से चार-पांच दिन पहले ही हमने मिट्टी का प्रबंध कर लिया था। जिसे अच्छी तरीके से कूटकर साफ किया और एक टब में इसे 1 रात के लिए अच्छे से पानी मिला कर छोड़ दिया। साथ में हमने एक लकड़ी का तख्ते का भी प्रबंध कर लिया जिस पर हमें गणेश मूर्ति बनाने वाले हैं।
अगले दिन मिट्टी काफी तैयार हो गई। प्रतिमा का प्रारंभ करने से पहले थोड़ी घबराहट हुई परंतु मिट्टी से ही हमने सर्वप्रथम तख्ते पर सातिया चिन्ह बनाया जिसका हिंदू धर्म में काफी महत्व है और श्री गणेश जी का मन में ध्यान करते हुए हमने गणेश जी के लिए उनका आसन तैयार करना शुरू किया।
आसन तैयार होने के बाद हमने श्री गणेश जी के दोनों चरणों को बनाया और उनकी धोती के लिए मिट्टी से ही लाइनों को बनाना शुरू किया।
इसके बाद श्री गणेश जी के शरीर को तैयार किया जिसमें श्री गणेश जी का बड़ा सा उधर तथा ऊपरी भाग जहां पर हाथों को लगाना था तैयार किए।
इसके पश्चात चारों हाथों को तैयार किया और उनके अस्त्र व शंख बनाए।
इसके पश्चात चेहरा व आंखें बनाएं जिसमें काफी समय लगा।
फिर मुकुट बनाने के लिए आधार तैयार किया और मुकुट को अच्छे से सजाया फिर हमने बचे हुए भागों को बनाया।
हाथों और पैरों के आभूषण बनाएं और गले में हार पहनाया।
फिर उनका अंग वस्त्र जिसे साफा कह सकते हैं तथा जनेऊ पहनाया और अंत में थोड़ा बहुत कमियों को दूर किया।
और इसके बाद हमने गणेश जी की सवारी अर्थात मूषकराज जी को बनाया जो कि अभी ना चित्र में नजर नहीं आ रहे होंगे। घुमने गए हैं न इसलिए!
मूर्ति का साकार रूप बनता हुआ देखकर हमारे अंदर जो संतुष्टि थी वह हम यहां शब्दों में बयां नहीं कर सकते हैं। हमने मूर्ति बनाने के दौरान जो भी अनुभव किया उसे यहां लिख पाना संभव नहीं है इन 5 दिनों में हमने काफी सकारात्मक अहसास किया।
अब श्री गणेश जी की मूर्ति तैयार हो चुकी थी केवल रंगों से सजाना बाकी था। मुकुट व आभूषणों के लिए हमने गोल्डन कलर प्रयोग किया इसके पश्चात माने चाहे रंगों से हमने श्री गणेश जी को पूर्ण रूप से रंग दिया। अब हमारी प्रतिमा श्री गणेश चतुर्थी पूजा के लिए तैयार हो चुकी है।
श्री गणेश जी के भक्तों से मैं केवल यही कहना चाहूंगा कि यदि आप मन में ठान ले तो प्रतिमा खुद ब खुद साकार रूप ले लेती है। आपको ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है बस आपको मन में रखना है कि मुझे प्रतिमा को तैयार करना है। गणेश जी का ध्यान करते जाएं और प्रतिमा खुद ब खुद साकार रूप ले लेगी।
"जो भी भक्त सच्चे हृदय से श्री गणेश जी की आराधना करता है उसकी हर मनोकामना पूर्ण होती है। श्री गणेश जी के सारे विघ्न हर लेते हैं और मनचाहे वरदान का प्रदान करते हैं
एक बार सभी मिलकर बोले "ओम श्री गणेशाय नमः"आपकी मनोकामना पूर्ण हो। मैं आशा करता हूं कि यह पोस्ट आपको सकारात्मक उत्साह प्रदान करेगा।"