Shiv Chalisa | शिव चालीसा - नियमित पाठ करने से होंगे अत्यधिक लाभ - Sampoorn Gatha

शिव चालीसा (Shiv Chalisa), भगवान शिव को समर्पित एक भक्ति स्तोत्र है। भगवान शिव को देवों का देव "महादेव", (Mahadev) भी कहा जाता है। हिंदू धर्म में शिवजी की सबसे अधिक पूजा की जाती है। शिवजी की पूजा मूर्ति तथा शिवलिंग दोनों रूपों में की जाती है। कहा जाता है कि भगवान शिव की पूजा जितनी की जाए उतनी ही कम है। भगवान शिव की कृपा भी सबसे अधिक मानी जाती है क्योंकि जो व्यक्ति शिव भगवान की पूजा करता है और भगवान शिव अगर उस पर प्रसन्न होते हैं, तो उस पर सदैव अपनी कृपा बनाए रखते हैं तथा उनकी प्रत्येक मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।

शिव चालीसा करने से भगवान शिव आप में उन सभी गुणों को भर देते हैं जो कि आप को सफल बनाने के लिए आवश्यक है। इसीलिए शिव चालीसा का पाठ करने से आपकी मनोकामना पूर्ण होगी तथा सभी समस्याओं का निवारण हो जाएगा।

Har Har Mahadev
" ॐ नम: शिवाय "

(Shiv Chalisa) - शिव चालीसा पाठ के नियम

सोमवार के दिन प्रातः जल्दी उठकर स्नान ध्यान इत्यादि से निवृत होकर स्वच्छ वस्त्रों को धारण करके पूजा घर में शिव जी माता पार्वती और नंदी महाराज को स्थापित करें तथा उन पर गंगा जल चढ़ाएं। उसके उपरांत भगवान शिव की प्रतिमा पर तिलक लगाएं और पूजा आरंभ करें ध्यान रखें कि आप सबसे पहले गणेश भगवान की आरती करें और उसके बाद ही आप शिव चालीसा  पाठ आरम्भ करें शिवजी पर बेलपत्र अवश्य चढ़ाएं
आपके पास पूजा के लिए दूध दही घी शक्कर शहद यानि पंचामृत तथा चंदन पुष्प बेलपत्र त्रिशूल डमरू आदि होने चाहिए अगर आपका व्रत है तो शाम को पूजा करने के बाद ही व्रत खोलें अंत में प्रसाद वितरण करें


अब हम शिव चालीसा पाठ आरंभ कर सकते हैं

*********************************************

" जय शिव शंभू "

*********************************************

!! श्री शिव चालीसा !! 

!! Shree Shiv Chalisa !!

*********************************************


।।दोहा।।


श्री गणेश गिरिजा सुवन,

मंगल मूल सुजान।

कहत अयोध्यादास तुम,

देहु अभय वरदान॥


– श्री शिव चालीसा चौपाई –


जय गिरिजा पति दीन दयाला।

सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥

भाल चन्द्रमा सोहत नीके।

कानन कुण्डल नागफनी के॥


अंग गौर शिर गंग बहाये।

मुण्डमाल तन छार लगाये॥

वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे।

छवि को देख नाग मुनि मोहे॥1॥


मैना मातु की ह्वै दुलारी।

बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥

कर त्रिशूल सोहत छवि भारी।

करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥


नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे।

सागर मध्य कमल हैं जैसे॥

कार्तिक श्याम और गणराऊ।

या छवि को कहि जात न काऊ॥2॥


देवन जबहीं जाय पुकारा।

तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥

किया उपद्रव तारक भारी।

देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥


तुरत षडानन आप पठायउ।

लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥

आप जलंधर असुर संहारा।

सुयश तुम्हार विदित संसारा॥3॥


त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई।

सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥

किया तपहिं भागीरथ भारी।

पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी॥


दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं।

सेवक स्तुति करत सदाहीं॥

वेद नाम महिमा तव गाई।

अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥4॥


प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला।

जरे सुरासुर भये विहाला॥

कीन्ह दया तहँ करी सहाई।

नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥


पूजन रामचंद्र जब कीन्हा।

जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥

सहस कमल में हो रहे धारी।

कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥5॥


एक कमल प्रभु राखेउ जोई।

कमल नयन पूजन चहं सोई॥

कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर।

भये प्रसन्न दिए इच्छित वर॥


जय जय जय अनंत अविनाशी।

करत कृपा सब के घटवासी॥

दुष्ट सकल नित मोहि सतावै ।

भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै॥6॥


त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो।

यहि अवसर मोहि आन उबारो॥

लै त्रिशूल शत्रुन को मारो।

संकट से मोहि आन उबारो॥


मातु पिता भ्राता सब कोई।

संकट में पूछत नहिं कोई॥

स्वामी एक है आस तुम्हारी।

आय हरहु अब संकट भारी॥7॥


धन निर्धन को देत सदाहीं।

जो कोई जांचे वो फल पाहीं॥

अस्तुति केहि विधि करौं तुम्हारी।

क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥


शंकर हो संकट के नाशन।

मंगल कारण विघ्न विनाशन॥

योगी यति मुनि ध्यान लगावैं।

नारद शारद शीश नवावैं॥8॥


नमो नमो जय नमो शिवाय।

सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥

जो यह पाठ करे मन लाई।

ता पार होत है शम्भु सहाई॥


ॠनिया जो कोई हो अधिकारी।

पाठ करे सो पावन हारी॥

पुत्र हीन कर इच्छा कोई।

निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥9॥


पण्डित त्रयोदशी को लावे।

ध्यान पूर्वक होम करावे ॥

त्रयोदशी ब्रत करे हमेशा।

तन नहीं ताके रहे कलेशा॥


धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे।

शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥

जन्म जन्म के पाप नसावे।

अन्तवास शिवपुर में पावे ॥10॥


कहे अयोध्या आस तुम्हारी।

जानि सकल दुःख हरहु हमारी


॥दोहा॥


नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा।

तुम मेरी मनोकामना, पूर्ण करो जगदीश॥


मगसर छठि हेमन्त ॠतु, संवत चौसठ जान।

अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥


" इति "


श्री शिव चालीसा Pdf :  यहाँ से Download करें!

यह भी पढ़ें : 

*********************************************




" हर हर महादेव "
*********************************************

श्री शिव जी की आरती (ॐ जय शिव ओंकारा) 
Shiv ji Ki Aarti (Om Jai Shiv Omkara) 

*********************************************


ॐ  जय शिव ओंकारा स्वामी जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥

एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥

दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।
त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥

अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी ।
चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥

कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥

काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।
नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥

त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे ।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥

!! सभी जन जयकारा अवश्य लगावें !!


श्री शिव जी की आरती Pdf :  यहाँ से Download करें!

*********************************************

तो प्रम से बोलिए! हृदय से बोलिए! मन से बोलिए!
" श्री शिव जी महाराज की जय "
" भोले बाबा की जय "
" सभी देवी-देवताओं की जय "
" सनातन धर्म की जय "

*********************************************


इन्हें भी अवश्य पढ़े : 




शिव चालीसा (Shiv Chalisa) का पाठ किस दिन करना चाहिए?

आप शिव चालीसा को किसी भी दिन कर सकते हैं, लेकिन रविवार, सोमवार तथा बुधवार को भगवान शंकर जी की चालीसा का पाठ करने का बड़ा महत्व बताया गया है। 

संक्षिप्त रूप में समझने के लिए : 

  • रविवार  इस दिन श्री शिव चालीसा का पाठ करने से शक्ति और सेहत का वरदान प्राप्त होता है।
  • सोमवार  इस दिन पाठ करने से आप जिस भी क्षेत्र में कार्य करते हैं तो आपको जल्दी सफलता मिलती है।
  • बुधवार  आप दीर्घायु तथा सदैव निरोगी काया से सुशोभित रहते हैं।



समभावित प्रश्न जो अक्सर सभी के मन में आते हैं : FAQs

शिव चालीसा पाठ के नियम क्या हैं?
शिव चालीसा पाठ कौन कर सकता है?
शिव चालीसा पाठ को कब करना चाहिए?
शिव चालीसा का पाठ घर में पढें या मंदिर में?



Post a Comment

Previous Post Next Post