श्री हनुमानजी (Hanumanji) अर्थात बजरंगबली ( Bajrangbali) को मंगलवार का दिन समर्पित किया गया है। इस दिन भगवान हनुमानजी की पूजा-अर्चना का विधान है।मान्यताओं के अनुसार मंगलवार और शनिवार को हनुमान चालीसा "Hanuman Chalisa" का पाठ करना अत्यंत शुभ एवं फलदायी होता है तथा जहां भी भगवान श्री राम जी की कथा होती है वहां हनुमान जी महाराज किसी न किसी रूप में अवश्य मौजूद होते हैं। कहा जाता है कि हनुमान जी की महिमा और भक्तों का कल्याण करने वाला स्वभाव देखकर श्री तुलसीदास जी ने हनुमानजी को प्रसन्न करने के लिए हनुमान चालीसा की रचना की।
हनुमान चालीसा पाठ करने के कई फायदे हैं :
जो भी भक्त नियमित रूप से "हनुमान चालीसा" का पाठ करते हैं उन्हें नकारात्मक शक्तियां (Negative Forces) परेशान नहीं करती और बजरंगबली उनके सारे कष्ट हर लेते हैं। इस पाठ को करने से घर में सुख-समृद्धि आती है तथा मन को आनंद प्राप्त होता है, व्यापार में वृद्धि होती है और शत्रुओं का नाश होता है, विद्यार्थियों का पढ़ाई में मन लगता है और बुरे विचार मन में वास नहीं करते हैं, बिगड़े काम बनते हैं तथा आने वाली समस्या पहले ही समाप्त हो जाती है। नियमित पाठ से जीवन में अत्यंत सुख एवं समृद्धि प्राप्त होती है।
बहुत से भक्त हनुमान चालीसा का नियमित रूप से पाठ करते हैं लेकिन फिर भी उन्हें लाभ नहीं मिलता। इसके लिए सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि हनुमान चालीसा का पाठ करने का सही नियम या तरीका क्या है।
हनुमान चालीसा पाठ करने के नियम :
मंगलवार के दिन सुबह जल्दी स्नान इत्यादि से निवृत्त होकर साफ कपड़े पहनें। घर के पूजा स्थान जहां पर सभी देवी-देवताओं संग हनुमानजी की प्रतिमा या चित्र स्थापित हो, को भली प्रकार से स्वच्छ कर गंगाजल अथवा स्वच्छ जल का छिड़काव करें।
हनुमान चालीसा पाठ करने से पूर्व प्रथम पूज्य श्री गणेश जी की अराधना करें। इसके बाद भगवान श्री राम और माता सीता जी का हाथ जोड़कर मन ही मन ध्यान कर लें।
अब बजरंगबली को नमस्कार करने के बाद हनुमान चालीसा पाठ का संकल्प लें तथा इसके बाद हनुमान जी को पुष्प चढ़ाएं और उनके समक्ष धूप, दीप जलाएं तथा प्रसाद इत्यादि जिसमें चूरमा, मोतीचूर के लड्डू अथवा बूंदी एवं मौसमी फल आदि उनके सम्मुख रख दें।
अब आप कुश से बने आसन (यदि आपके पास हो) अथवा आप कपड़े के आसन पर बैठ कर हनुमान चालीसा का पाठ शुरु करें।
जब आप हनुमान चालीसा का पाठ पूरा कर चुके हों तो उसके बाद भगवान श्रीराम जी का स्मरण और भजन जरूर करें।
इसके बाद आप प्रभु को प्रसाद तथा फल का भोग लगाकर जल समर्पित कर दें। भली प्रकार नियमित रूप से हनुमान चालीसा का पाठ करने से 100 गुना लाभ प्राप्त होता है
अब हम हनुमान चालीसा पाठ आरंभ कर सकते हैं
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!! श्री हनूमते नम: !!
श्री हनुमान चालीसा
!! Shree Hanuman Chalisa !!
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!! दोहा !!
श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि।
बरनऊँ रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि॥
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।
बल बुधि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार॥
!! चौपाई !!
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर॥
राम दूत अतुलित बल धामा।
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा॥
महाबीर बिक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी॥
कंचन बरन बिराज सुबेसा।
कानन कुंडल कुंचित केसा॥
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै।
काँधे मूँज जनेऊ साजै॥
संकर सुवन केसरीनंदन।
तेज प्रताप महा जग बन्दन॥
विद्यावान गुनी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर॥
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया॥
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
बिकट रूप धरि लंक जरावा॥
भीम रूप धरि असुर सँहारे।
रामचंद्र के काज सँवारे॥
लाय सजीवन लखन जियाये।
श्रीरघुबीर हरषि उर लाये॥
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई॥
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं॥
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
नारद सारद सहित अहीसा॥
जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते।
कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते॥
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
राम मिलाय राज पद दीन्हा॥
तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना।
लंकेस्वर भए सब जग जाना॥
जुग सहस्र जोजन पर भानू।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू॥
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
जलधि लाँघि गये अचरज नाहीं॥
दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥
राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे॥
सब सुख लहै तुम्हारी सरना।
तुम रक्षक काहू को डर ना॥
आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हाँक तें काँपै॥
भूत पिसाच निकट नहिं आवै।
महाबीर जब नाम सुनावै॥
नासै रोग हरै सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बीरा॥
संकट तें हनुमान छुड़ावै।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै॥
सब पर राम तपस्वी राजा।
तिन के काज सकल तुम साजा॥
और मनोरथ जो कोई लावै।
सोइ अमित जीवन फल पावै॥
चारों जुग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा॥
साधु संत के तुम रखवारे।
असुर निकंदन राम दुलारे॥
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।
अस बर दीन जानकी माता॥
राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा॥
तुम्हरे भजन राम को पावै।
जनम जनम के दुख बिसरावै॥
अंत काल रघुबर पुर जाई।
जहाँ जन्म हरि-भक्त कहाई॥
और देवता चित्त न धरई।
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई॥
संकट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥
जै जै जै हनुमान गोसाईं।
कृपा करहु गुरु देव की नाईं॥
जो सत बार पाठ कर कोई।
छूटहि बंदि महा सुख होई॥
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा॥
तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय महँ डेरा॥
!! दोहा !!
पवनतनय संकट हरन मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित हृदय बसहु सुर भूप॥
!! इति!!
!! सभी जन जयकारा अवश्य लगावें !!
सिया वर रामचन्द्र की जय! पवनसुत हनुमान की जय! उमापति महादेव की जय!!
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शिव चालीसा - नियमित पाठ करने से होंगे अत्यधिक लाभ
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श्री हनुमंत स्तुति
मनोजवं मारुत तुल्यवेगं,
जितेन्द्रियं, बुद्धिमतां वरिष्ठम् ॥
वातात्मजं वानरयुथ मुख्यं,
श्रीरामदुतं शरणम प्रपद्धे ॥
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श्री हनुमान जी की आरती
!! Shree Hanuman ji Ki Aarti !!
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आरती कीजै हनुमान लला की ।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥
जाके बल से गिरवर काँपे ।
रोग-दोष जाके निकट न झाँके ॥
अंजनि पुत्र महा बलदाई ।
संतन के प्रभु सदा सहाई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥
दे वीरा रघुनाथ पठाए ।
लंका जारि सिया सुधि लाये ॥
लंका सो कोट समुद्र सी खाई ।
जात पवनसुत बार न लाई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥
लंका जारि असुर संहारे ।
सियाराम जी के काज सँवारे ॥
लक्ष्मण मुर्छित पड़े सकारे ।
लाये संजिवन प्राण उबारे ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥
पैठि पताल तोरि जमकारे ।
अहिरावण की भुजा उखारे ॥
बाईं भुजा असुर दल मारे ।
दाहिने भुजा संतजन तारे ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥
सुर-नर-मुनि जन आरती उतरें ।
जय जय जय हनुमान उचारें ॥
कंचन थार कपूर लौ छाई ।
आरती करत अंजना माई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥
जो हनुमानजी की आरती गावे ।
बसहिं बैकुंठ परम पद पावे ॥
लंक विध्वंस किये रघुराई ।
तुलसीदास स्वामी कीर्ति गाई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥
॥ इति संपूर्णंम् ॥
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तो प्रम से बोलिए! हृदय से बोलिए! मन से बोलिए!
" श्री संकटमोचन हनुमान जी महाराज की जय "
" कष्ट निवारक श्री बालाजी महाराज की जय "
" भय मोचन श्री बजरंगबली की जय "
" सभी देवी-देवताओं की जय "
" सनातन धर्म की जय "
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हनुमान चालीसा - पाठ का सार
भगवान श्री हनुमान जी के बल, पराक्रम, शौर्य और स्तुति का वर्णन हनुमान चालीसा पाठ में किया गया है। गोस्वामी श्री तुलसीदास जी द्वारा लिखित हनुमान चालीसा में भगवान श्री हनुमान जी के कई चमत्कारी शक्तियों का वर्णन किया गया है। हनुमान चालीसा के पाठ से सभी लोगों के दुखों और परेशानियों को स्वयं भगवान हनुमानजी हर लेते हैं। पवन पुत्र हनुमान जी भोलेनाथ के ग्यारहवें रूद्रावतार हैं। कलयुग के समय में हनुमान जी की आराधना शीघ्र फलदायी मानी गई है। हिंदू धर्म में श्री हनुमान जी की पूजा, आराधना और वंदना बड़े ही श्रद्धा व भक्ति भाव से की जाती है। हिंदू मान्यता के अनुसार हनुमानजी ऐसे देवता हैं, जो बहुत जल्द प्रसन्न होकर अपने भक्तों के कष्टों को दूर करते हैं। श्री हनुमान चालीसा पाठ को निष्ठा एवं लगन से मन लगाकर नियमित पाठ करने से मनचाहे फल की प्राप्ति होती है।
समभावित प्रश्न जो अक्सर सभी के मन में आते हैं? FAQ's
प्रश्न 1. हनुमान चालीसा पाठ के नियम क्या हैं?उत्तर. जब भी हनुमान चालीसा पाठ करना हो तो इस बात का विशेष ध्यान रखें कि सबसे पहले सर्वप्रथम गणेश जी की आराधना करें। इसके बाद भगवान राम और माता सीता का हाथ जोड़कर मन ही मन ध्यान करें। अब बजरंगबली को नमस्कार करने के बाद हनुमान चालीसा पाठ का संकल्प लें। इसके बाद हनुमान जी को पुष्प चढ़ाएं और उनके समक्ष धूप, दीप जलाएं फिर आप हनुमान चालीसा का पाठ आरम्भ करें।
प्रश्न 2. हनुमान चालीसा पाठ कौन कर सकता है?
उत्तर.
प्रश्न 3. हनुमान चालीसा रोज पढ़ने से क्या होता है?
प्रश्न 3. हनुमान चालीसा रोज पढ़ने से क्या होता है?
प्रश्न 4. क्या महिलाएं हनुमान चालीसा का पाठ कर सकतीं है?
उत्तर. हाँ, महिलाएं हनुमान चालीसा, संकट मोचन, हनुमानाष्टक, सुंदरकांड आदि का पाठ कर सकती हैं। महिलाएं हनुमान जी का भोग प्रसाद अपने हाथों से बनाकर अर्पित कर सकती हैं। केवल कुछ विशेष परिस्थितियों में महिलाओं का श्री हनुमान जी के सम्मुख जाना उचित नहीं होता है।
प्रश्न 5. हनुमान चालीसा का पाठ घर में पढें या मंदिर में?