Lakshmi Chalisa | लक्ष्मी चालीसा - माँ लक्ष्मी जी का आशिर्वाद जीवन में देगा सुख-समृद्धि और अपार सफलता - Sampoorn Gatha

मान्यताओं के अनुसार शुक्रवार का दिन मां लक्ष्मी का दिन होता है। इस दिन मां लक्ष्मी की सच्चे हृदय से पूजा करने से घर में धन की बारिश होती है। शास्त्रों के अनुसार जिस घर में प्रतिदिन मां लक्ष्मी के साथ भगवान विष्णु की पूजा अर्चना की जाती है, उस घर में मां लक्ष्मी हमेशा निवास करती हैं। मां लक्ष्मी की पूजा करने से घर की नकारात्मक शक्तियां हमेशा के लिए खत्म हो जाती है। धन की देवी को प्रसन्न करने के लिए शुक्रवार के दिन पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।

माता श्री लक्ष्मी जी

माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना के साथ आरती जिस घर में सुबह-शाम होती है, उस घर में सुख-समृद्धि हमेशा बनी रहती हैं। मां लक्ष्मी की पूजा अर्चना आर्थिक तंगी को खत्म कर देती है। सच्चे हृदय से की गई पूजा से माता प्रसन्न होकर भक्तों को धन के साथ सौभाग्य भी प्रदान करती हैं।

जो व्यक्ति आर्थिक परेशानियों से जूझ रहे हो, वैसे व्यक्ति अगर मां लक्ष्मी के शरण में जाकर उनकी पूजा-अर्चना और आरती रोजाना करें, तो मां प्रसन्न होकर उसके सभी कष्टों को शीघ्र हर लेती हैं। यदि आप मां लक्ष्मी की कृपा दृष्टि अपने ऊपर बनाएं रखना चाहते हैं, तो अपने घर में रोजाना मां लक्ष्मी की आरती जरूर करें। यहां आप मां लक्ष्मी की आरती हिंदी लिरिक्स के साथ देखकर पढ़ सकते हैं।

श्री लक्ष्मी चालीसा पाठ के नियम

प्रातः जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो स्वच्छ वस्त्र पहनकर घर में पूजा के स्थान पर या श्री लक्ष्मी मैया के मंदिर में जाकर श्री लक्ष्मी चालीसा का पाठ करना चाहिए। चालीसा पाठ न तो बहुत धीरे करें और न ही बहुत जल्दबजी में पढना चाहिए। पाठ को आराम से और बिना गलती किए करना चाहिए ताकि सुनने वाले सदस्य को शब्दों का उच्चारण स्वर स्पष्ट सुनाई दे। लक्ष्मी चालीसा पढ़ने से पहले मां लक्ष्मी को घी का दीपक और धूप बत्ती अवश्य दिखाएं। पीले फूल चढ़ाएं और चंदन लगाएं। इसके बाद प्रथम पुज्य श्री गणेश जी का ध्यान कर मातालक्ष्मी जी का ध्यान करें और फिर लक्ष्मी चालीसा का पाठ शुरू करें।

अब आप श्री लक्ष्मी चालीसा पाठ आरम्भ करें
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जय लक्ष्मी माँ

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!! श्री लक्ष्मी चालीसा !!
!! Shree Lakshmi Chalisa !! 
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॥ दोहा ॥

मातु लक्ष्मी करि कृपा, करो हृदय में वास ।
मनोकामना सिद्ध करि, परुवहु मेरी आस ॥

॥ सोरठा ॥

यही मोर अरदास, हाथ जोड़ विनती करुं ।
सब विधि करौ सुवास, जय जननि जगदम्बिका ॥

॥ चौपाई ॥

सिन्धु सुता मैं सुमिरौ तोही । ज्ञान बुद्धि विद्या दो मोही ॥

तुम समान नहिं कोई उपकारी । सब विधि पुरवहु आस हमारी ॥

जय जय जगत जननि जगदम्बा । सबकी तुम ही हो अवलम्बा ॥

तुम ही हो सब घट घट वासी । विनती यही हमारी खासी ॥

जगजननी जय सिन्धु कुमारी । दीनन की तुम हो हितकारी ॥

विनवौं नित्य तुमहिं महारानी । कृपा करौ जग जननि भवानी ॥

केहि विधि स्तुति करौं तिहारी । सुधि लीजै अपराध बिसारी ॥

कृपा दृष्टि चितववो मम ओरी । जगजननी विनती सुन मोरी ॥

ज्ञान बुद्धि जय सुख की दाता । संकट हरो हमारी माता ॥

क्षीरसिन्धु जब विष्णु मथायो । चौदह रत्न सिन्धु में पायो ॥

चौदह रत्न में तुम सुखरासी । सेवा कियो प्रभु बनि दासी ॥

जब जब जन्म जहां प्रभु लीन्हा । रुप बदल तहं सेवा कीन्हा ॥

स्वयं विष्णु जब नर तनु धारा । लीन्हेउ अवधपुरी अवतारा ॥

तब तुम प्रगट जनकपुर माहीं । सेवा कियो हृदय पुलकाहीं ॥

अपनाया तोहि अन्तर्यामी । विश्व विदित त्रिभुवन की स्वामी ॥

तुम सम प्रबल शक्ति नहीं आनी । कहं लौ महिमा कहौं बखानी ॥

मन क्रम वचन करै सेवकाई । मन इच्छित वांछित फल पाई ॥

तजि छल कपट और चतुराई । पूजहिं विविध भांति मनलाई ॥

और हाल मैं कहौं बुझाई । जो यह पाठ करै मन लाई ॥

ताको कोई कष्ट नोई । मन इच्छित पावै फल सोई ॥

त्राहि त्राहि जय दुःख निवारिणि । त्रिविध ताप भव बंधन हारिणी ॥

जो चालीसा पढ़ै पढ़ावै । ध्यान लगाकर सुनै सुनावै ॥

ताकौ कोई न रोग सतावै । पुत्र आदि धन सम्पत्ति पावै ॥

पुत्रहीन अरु सम्पति हीना । अन्ध बधिर कोढ़ी अति दीना ॥

विप्र बोलाय कै पाठ करावै । शंका दिल में कभी न लावै ॥

पाठ करावै दिन चालीसा । ता पर कृपा करैं गौरीसा ॥

सुख सम्पत्ति बहुत सी पावै । कमी नहीं काहू की आवै ॥

बारह मास करै जो पूजा । तेहि सम धन्य और नहिं दूजा ॥

प्रतिदिन पाठ करै मन माही । उन सम कोइ जग में कहुं नाहीं ॥

बहुविधि क्या मैं करौं बड़ाई । लेय परीक्षा ध्यान लगाई ॥

करि विश्वास करै व्रत नेमा । होय सिद्ध उपजै उर प्रेमा ॥

जय जय जय लक्ष्मी भवानी । सब में व्यापित हो गुण खानी ॥

तुम्हरो तेज प्रबल जग माहीं । तुम सम कोउ दयालु कहुं नाहिं ॥

मोहि अनाथ की सुधि अब लीजै । संकट काटि भक्ति मोहि दीजै ॥

भूल चूक करि क्षमा हमारी । दर्शन दजै दशा निहारी ॥

बिन दर्शन व्याकुल अधिकारी । तुमहि अछत दुःख सहते भारी ॥

नहिं मोहिं ज्ञान बुद्धि है तन में । सब जानत हो अपने मन में ॥

रुप चतुर्भुज करके धारण । कष्ट मोर अब करहु निवारण ॥

केहि प्रकार मैं करौं बड़ाई । ज्ञान बुद्धि मोहि नहिं अधिकाई ॥

॥ दोहा ॥

त्राहि त्राहि दुख हारिणी, हरो वेगि सब त्रास ।

जयति जयति जय लक्ष्मी, करो शत्रु को नाश ॥

रामदास धरि ध्यान नित, विनय करत कर जोर ।

मातु लक्ष्मी दास पर, करहु दया की कोर ॥


!! इति !!

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जय लक्ष्मी माँ

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!! श्री लक्ष्मी माँ की आरती !!
!! Shree Lakshmi Maa Ki Aarti !! 
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ॐ जय लक्ष्मी माता,
मैया जय लक्ष्मी माता ।
तुमको निसदिन सेवत,
हर विष्णु विधाता ॥

उमा, रमा, ब्रम्हाणी,
तुम ही जग माता ।
सूर्य चद्रंमा ध्यावत,
नारद ऋषि गाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥

दुर्गा रुप निरंजनि,
सुख-संपत्ति दाता ।
जो कोई तुमको ध्याता,
ऋद्धि-सिद्धि धन पाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥

तुम ही पाताल निवासनी,
तुम ही शुभदाता ।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशनी,
भव निधि की त्राता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥

जिस घर तुम रहती हो,
ताँहि में हैं सद्‍गुण आता ।
सब सभंव हो जाता,
मन नहीं घबराता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥

तुम बिन यज्ञ ना होता,
वस्त्र न कोई पाता ।
खान पान का वैभव,
सब तुमसे आता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥

शुभ गुण मंदिर सुंदर,
क्षीरोदधि जाता ।
रत्न चतुर्दश तुम बिन,
कोई नहीं पाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥

महालक्ष्मी जी की आरती,
जो कोई नर गाता ।
उँर आंनद समाता,
पाप उतर जाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥

ॐ जय लक्ष्मी माता,
मैया जय लक्ष्मी माता ।
तुमको निसदिन सेवत,
हर विष्णु विधाता ॥


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तो प्रम से बोलिए! हृदय से बोलिए! मन से बोलिए!
" श्री लक्ष्मी माता की जय "
" नवौ देवी की जय "
"धन धान्य की देवी मइया लक्ष्मी जी की जय " 
" सभी देवी-देवताओं की जय "
" सनातन धर्म की जय "
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इस उपायों से बरसेगी आप पर मां लक्ष्मी की कृपा, धन-संपदा में दिन-रात होगी बरकत

श्री धन लक्ष्मी जी

हर व्यक्ति के जीवन में उतार-चढ़ाव आते हैं। सुख के बाद दुख और दुख के बाद सुख यह प्रकृति का सिद्धांत है। हालांकि कई बार लोगों को भाग्य का साथ न मिल पाने के कारण उनके जीवन में केवल दुख ही दुख आते हैं। जिसके कारण व्यक्ति का जीवन मुश्किलों से भर जाता है। ज्योतिष शास्त्र में सुखों और धन की प्राप्ति के कई उपाय बताए गए हैं। कहा जाता है कि जो व्यक्ति सच्चे मन से मां लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा करता है, उसका साथ मां लक्ष्मी कभी नहीं छोड़ती हैं। आज हम आपको बता रहे हैं मां लक्ष्मी से जुड़े उपाय जिन्हें अपनाकर आप भी अपनी पलट सकते हैं किस्मत।
1. अगर आपके घर में बरकत रूक गई है और धन नहीं टिक रहा है तो आप शुक्रवार के दिन श्रीसूक्त और लक्ष्मी सूक्त का पाठ करें। मान्यता है कि इससे मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और भक्त पर कृपा बरसाती हैं।
2. घर से नकारात्मकता को दूर करने के लिए हफ्ते में एक बार नमक के पानी का पोंछा लगाना चाहिए। माना जाता है कि इससे परिवार में सुख-शांति के साथ समृद्धि भी आती है।
3. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए शुक्रवार के दिन सुबह स्नान के बाद सफेद वस्त्र धारण करें। पूजाघर में मां लक्ष्मी की प्रतिमा पर कमल का पुष्प अर्पित करें। कहते हैं कि इससे जीवन में धन से संबंधित परेशानियां दूर हो जाती हैं।
4. शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी को सात्विक भोजन या सफेद चीजों का भोग लगाना चाहिए। मां लक्ष्मी को सफेद रंग प्रिय है। माना जाता है कि मां लक्ष्मी इससे प्रसन्न होती हैं।
5. अगर आप किसी शुभ कार्य के लिए घर से जा रहे हैं तो बाहर जाने से पहले दही खाकर निकलें। कहते हैं कि इससे काम में सफलता हासिल होती है।
6. धन संपदा में वृद्धि के लिए देवी लक्ष्मी को कौड़ी, मखाना, बताशा आदि चीजें चढ़ानी चाहिए। मान्यता है कि इससे मां लक्ष्मी अपनी कृपा बरसाती हैं।
7. मां लक्ष्मी के दिन शुक्रवार को घर या दुकान की तिजोरी में कमल का फूल रखना शुभ माना जाता है। 1 महीने के बाद नया फूल तिजोरी में रख दें। माना जाता है कि इससे धन संबंधी सभी परेशानियां खत्म हो जाती हैं।
8. अष्टमी की संध्या को घर के ईशान कोण में गाय के घी का दीपक लगाएं। बत्ती में रुई के स्थान पर लाल रंग के धागे का इस्तेमाल करें। इसके साथ ही दीए में केसर भी डाल दें। मान्यता है कि ऐसा करने से धन लाभ के योग बनते हैं।


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