मां काली को समय, विनाश और शक्ति की देवी कहा जाता है। हालांकि, उन्हें बुराई का विनाश करने वाले के रूप में ज्यादा जाना जाता है। वो शेर की सवारी करती हैं। इसके साथ ही वे खोपड़ी की एक माला पहनती है जिसकी वजह से उन्हें कई बार उनके अवतार के कारण गलत समझा जाता है। लेकिन ऐसा कहा जाता है कि दिव्य मां के रूप में- वे सभी देवताओं में सबसे दयालु है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी को प्रसन्न करने का सबसे अच्छा तरीका उनकी प्रतिमा की पूजा, उनकी छवि या मूर्ति के सामने करके करना अच्छा माना जाता है। रोजाना इस आरती को करने से बुराई दूर होती हैं और स्वस्थ, समृद्ध और शांतिपूर्ण जीवन प्राप्त होता है।
काली मां हिन्दू धर्म की एक प्रमुख देवी हैं। काली शब्द का अर्थ काल और काले रंग से है। मां काली को देवी दुर्गा की दस महाविद्याओं में से एक माना जाता है। पराशक्ति भगवती निराकार होकर भी देवताओं का दु:ख दूर करने के लिये युग-युग में साकार रूप धारण करके अवतार लेती हैं। हिंदू मान्यतानुसार काली जी का जन्म राक्षसों के विनाश के लिए हुआ था। काली मां को खासतौर पर बंगाल और असम में पूजा जाता है। काली माता को बल और शक्ति की देवी माना जाता है। इनकी महिमा अनंत है, इन्हीं से सृष्टि है यानी सम्पूर्ण ब्रह्मांड की संचालिका ये ही हैं। माना जाता है कि महादेव के महाकाल अवतार में देवी महाकाली के रूप में उनके साथ थीं। मां काली का गुणगान शब्दों से नहीं, भावों से किया जाता हैं। इनकी आराधना से मनुष्य के सभी भय दूर हो जाते हैं।
काली चालीसा का नित्य पाठ माँ काली को प्रसन्न करता है। जहाँ मां जगत का पालन करती हैं, वहीं वे रौद्र रूप धारण कर दुष्टों का संहार भी करती हैं। जो भक्त शुद्ध हृदय से काली चालीसा (Kali Chalisa) का गायन करता है, उसे निश्चित ही माँ की अनुकम्पा प्राप्त होती है। काली चालीसा का पाठ करने वाले के लिए दुनिया में सब कुछ संभव है।
मान्यता है कि अगर मां काली की पूजा पूरे विधि-विधान से की जाए तो व्यक्ति को शीघ्र ही फल की प्राप्ति होती है। साथ ही यह भी माना जाता है कि मां काली की पूजा करने से व्यक्ति का कोई मनोरथ सिद्ध हो सकता है। अगर आप भी मां काली की पूजा आज कर रहे हैं तो यहां जानें मां काली की संपूर्ण पूजा विधि।
माँ काली की पूजा विधि व नियम:
मां काली की पूजा रात में की जाती है। इसके लिए व्यक्ति को स्नान कर साफ वस्त्र पहनने चाहिए।
फिर एक चौकी लें और उस पर लाल कपड़ा बिछाएं। इस पर मां काली की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें।
इनके साथ गणेश जी को विराजित करें और सबसे पहले गणेश जी की पूजा करें। फिर मां काली को पंचामृत से स्नाना कराएं।
फिर मां को लाल चुनरी अर्पित करें। साथ ही लाल फूल की माला पहनाएं।
इसके बाद मां को तिलक, हल्दी, रोली और कुमकुम भी लगाएं। मां को श्रृंगार की वस्तुएं अर्पित करें।
मां के आगे सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
मां काली को सिंदूर भी अर्पित करें। मां की कथा सुनें या पढ़ें।
काली गायत्री मंत्र या मां के बीज मंत्रों का जप जरूर करें।
अब आप मां को प्रसंन्न करने के लिए श्री काली चालीसा पाठ पढ़ें
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जय कालका माता |
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!! श्री काली चालीसा !!
!! Shree Kali Chalisa !!
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॥ दोहा ॥
जयकाली कलिमलहरण, महिमा अगम अपार ।
महिष मर्दिनी कालिका , देहु अभय अपार ॥
॥ चौपाई ॥
रि मद मान मिटावन हारी । मुण्डमाल गल सोहत प्यारी ॥
अष्टभुजी सुखदायक माता । दुष्टदलन जग में विख्याता ॥
भाल विशाल मुकुट छवि छाजै । कर में शीश शत्रु का साजै ॥
दूजे हाथ लिए मधु प्याला । हाथ तीसरे सोहत भाला ॥
चौथे खप्पर खड्ग कर पांचे । छठे त्रिशूल शत्रु बल जांचे ॥
सप्तम करदमकत असि प्यारी । शोभा अद्भुत मात तुम्हारी ॥
अष्टम कर भक्तन वर दाता । जग मनहरण रूप ये माता ॥
भक्तन में अनुरक्त भवानी । निशदिन रटें ॠषी-मुनि ज्ञानी ॥
महशक्ति अति प्रबल पुनीता । तू ही काली तू ही सीता ॥
पतित तारिणी हे जग पालक । कल्याणी पापी कुल घालक ॥
शेष सुरेश न पावत पारा । गौरी रूप धर्यो इक बारा ॥
तुम समान दाता नहिं दूजा । विधिवत करें भक्तजन पूजा ॥
रूप भयंकर जब तुम धारा । दुष्टदलन कीन्हेहु संहारा ॥
नाम अनेकन मात तुम्हारे । भक्तजनों के संकट टारे ॥
कलि के कष्ट कलेशन हरनी । भव भय मोचन मंगल करनी ॥
महिमा अगम वेद यश गावैं । नारद शारद पार न पावैं ॥
भू पर भार बढ्यौ जब भारी । तब तब तुम प्रकटीं महतारी ॥
आदि अनादि अभय वरदाता । विश्वविदित भव संकट त्राता ॥
कुसमय नाम तुम्हारौ लीन्हा । उसको सदा अभय वर दीन्हा ॥
ध्यान धरें श्रुति शेष सुरेशा । काल रूप लखि तुमरो भेषा ॥
कलुआ भैंरों संग तुम्हारे । अरि हित रूप भयानक धारे ॥
सेवक लांगुर रहत अगारी । चौसठ जोगन आज्ञाकारी ॥
त्रेता में रघुवर हित आई । दशकंधर की सैन नसाई ॥
खेला रण का खेल निराला । भरा मांस-मज्जा से प्याला ॥
रौद्र रूप लखि दानव भागे । कियौ गवन भवन निज त्यागे ॥
तब ऐसौ तामस चढ़ आयो । स्वजन विजन को भेद भुलायो ॥
ये बालक लखि शंकर आए । राह रोक चरनन में धाए ॥
तब मुख जीभ निकर जो आई । यही रूप प्रचलित है माई ॥
बाढ्यो महिषासुर मद भारी । पीड़ित किए सकल नर-नारी ॥
करूण पुकार सुनी भक्तन की । पीर मिटावन हित जन-जन की ॥
तब प्रगटी निज सैन समेता । नाम पड़ा मां महिष विजेता ॥
शुंभ निशुंभ हने छन माहीं । तुम सम जग दूसर कोउ नाहीं ॥
मान मथनहारी खल दल के । सदा सहायक भक्त विकल के ॥
दीन विहीन करैं नित सेवा । पावैं मनवांछित फल मेवा ॥
संकट में जो सुमिरन करहीं । उनके कष्ट मातु तुम हरहीं ॥
प्रेम सहित जो कीरति गावैं । भव बन्धन सों मुक्ती पावैं ॥
काली चालीसा जो पढ़हीं । स्वर्गलोक बिनु बंधन चढ़हीं ॥
दया दृष्टि हेरौ जगदम्बा । केहि कारण मां कियौ विलम्बा ॥
करहु मातु भक्तन रखवाली । जयति जयति काली कंकाली ॥
सेवक दीन अनाथ अनारी । भक्तिभाव युति शरण तुम्हारी ॥
॥ दोहा ॥
प्रेम सहित जो करे, काली चालीसा पाठ ।
तिनकी पूरन कामना, होय सकल जग ठाठ ॥
!! इति!!
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श्री काली मां की आरती |
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!! मां काली की आरती !!
!! Maa Kali Ki Aarti !!
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अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली,
तेरे ही गुन गाए भारती, हे मैया, हम सब उतारे तेरी आरती |
तेरे भक्त जनो पार माता भये पड़ी है भारी |
दानव दल पार तोतो माड़ा करके सिंह सांवरी |
सोउ सौ सिंघों से बालशाली, है अष्ट भुजाओ वली,
दुशटन को तू ही ललकारती |
हे मैया, हम सब उतारे तेरी आरती |
माँ बेटी का है इस् जग जग बाड़ा हाय निर्मल नाता |
पूत कपूत सुने है पर ना माता सुनी कुमाता |
सब पे करुणा दर्शन वालि, अमृत बरसाने वाली,
दुखीं के दुक्खदे निवर्तती |
हे मैया, हम सब उतारे तेरी आरती |
नहि मँगते धन धन दौलत ना चण्डी न सोना |
हम तो मांगे तेरे तेरे मन में एक छोटा सा कोना |
सब की बिगड़ी बान वाली, लाज बचाने वाली,
सतियो के सत को संवरती |
हे मैया, हम सब उतारे तेरी आरती |
चरन शरण में खडे तुमहारी ले पूजा की थाली |
वरद हस् स सर प रख दो म सकत हरन वली |
माँ भार दो भक्ति रस प्याली, अष्ट भुजाओ वली,
भक्तो के करेज तू ही सरती |
हे मैया, हम सब उतारे तेरी आरती |
अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली |
तेरे ही गुन गाए भारती, हे मैया, हम सब उतारे तेरी आरती |
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तो प्रेम से बोलिए! हृदय से बोलिए! मन से बोलिए!
" श्री काली माई की जय"
" खप्पर धारणी माता की जय "
" श्री अम्बेमात की जय "
" कालका माई की जय "
" सभी देवी-देवताओं की जय "
" सनातन धर्म की जय "
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काली चालीसा पाठ के लाभ
श्रद्धापूर्वक और मन लगाकर जो भी काली चालीसा का पाठ करता है, मां अपने भक्त पर सदैव अपनी कृपा बनाये रखती हैं। उसके जीवन के सारे दुःख और तकलीफों का ख़ात्मा होता है। नीचे आप पढ़ सकते हैं, काली चालीसा पढ़ने से आपके जीवन में क्या-क्या परिवर्तन आ सकते हैं :
जो भी जातक इस चालीसा (Kali chalisa) का पाठ करता है, उसे कभी भी किसी प्रकार का भी भय नहीं सताता है।
रोगों से निजात मिलता है, और जीवन सुखमय होता है।
राहु और केतु जैसे ग्रहों के बुरे प्रभाव को शांत करने के लिए इसका (Kali chalisa) का पाठ लाभदायक होता है।
इसके (काली चालीसा हिंदी में) के प्रभावस्वरूप शत्रुओं पर विजय प्राप्त होने के साथ-साथ उनका नाश भी होता है।
तंत्र-मंत्र के असर को ख़तम करने के लिए भी इसका पाठ कारगर होता है।
काली चालीसा के सच्चे मन से नियमित पाठ से मृत्यु उपरान्त स्वर्ग की प्राप्ति होती है।
सच्चे मन से काली चालीसा का पाठ करने वाला व्यक्ति स्वयं को सांसारिक भव-बंधन से मुक्त पाता है।
सभी प्रकार की मुसीबत, परेशानी, या संकट से छुटकारा मिलता है।
चालीसा का पाठ करने वाले व्यक्ति की माँ हमेशा रक्षा करती हैं।